नई दिल्ली।घुसपैठ और अवैध अप्रवास रोकने के मकसद से लोकसभा में मंगलवार को अप्रवासन और विदेशी विधेयक-2025 पेश किया गया। अमित शाह की तरफ से गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि किसी को देश में आने से रोकने के लिए यह बिल नहीं लाया गया है, बल्कि इस बिल का मकसद है कि जो भी विदेशी भारत आएं, वे यहां के नियमों का पालन करके ही आएं। इस विधेयक का मकसद भारत के इमिग्रेशन नियमों को मॉडर्न बनाना और उन्हें मजूबत करना है। यह बिल भारत में दाखिल होने और यहां से बाहर जाने वाले व्यक्तियों के संबंध में पासपोर्ट या बाकी यात्रा दस्तावेजों की जरूरतों और विदेशियों से संबंधित मामलों को रेगुलेट करने की शक्तियां केंद्र सरकार को देगा। इनमें वीजा और रजिस्ट्रेशन की जरूरत और उससे संबंधित मामलों को शामिल किया गया है। इमिग्रेशन से जुड़ा यह विधेयक देश की सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम है। इस विधेयक में कानूनी स्थिति साबित करने की जिम्मेदारी राज्य के बजाय व्यक्ति पर डाल दी गई है। यह विधेयक स्पष्ट रूप से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता या अखंडता के लिए खतरा माने जाने वाले किसी भी विदेशी नागरिक के प्रवेश या निवास पर पाबंदी लगाता है। साथ ही अनिवार्य करता है कि सभी विदेशी आगमन पर रजिस्ट्रेशन करें और उनकी आवाजाही, नाम परिवर्तन और संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्रों में उनकी एंट्री पूरी तरह बैन हो। प्रस्तावित कानून में इमिग्रेशन नियमों के उल्लंघन के लिए सख्त सजा का भी प्रावधान किया गया है।वैध पासपोर्ट या वीज़ा के बिना भारत में अवैध रूप से एंट्री करने पर पांच साल तक की कैद और पांच लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने वालों को दो से सात साल तक जेल और एक लाख रुपए से 10 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। निर्धारित समय से अधिक समय तक रहना, वीज़ा शर्तों का उल्लंघन करना या प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश करने जैसे अपराधों के लिए तीन साल तक की कैद, तीन लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। बिना उचित दस्तावेज के व्यक्तियों को लाने-ले जाने वाले ट्रांसपोर्ट को भी जवाबदेह ठहराया जाएगा। उन पर पांच लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और भुगतान न करने पर उनके वाहन जब्त किए जा सकते हैं। विधेयक में आव्रजन अधिकारियों को ज्यादा शक्तियां भी दी गई हैं, जिसमें बिना वारंट के व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का अधिकार तक शामिल है। नित्यानंद राय की ओर से बिल पेश करने के दौरान कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह मूलभूत अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान के मुताबिक नहीं है और इसमें विदेशी नागरिकों के अस्पताल में भर्ती होने तक का ब्यौरा मांगा गया है, जो कि मेडिकल एथिक्स के खिलाफ है। तिवारी ने मांग करते हुए कहा कि इस बिल को वापस लिया जाए या फिर जेपीसी के पास भेजा जाए। इसके अलावा टीएमसी के सांसद सौगत राय ने भी बिल का विरोध किया।
