(उत्तर प्रदेश) महाराज गंज इरशाद अली खान
स्त्री यदि आक्रामक है तो वह आकर्षक नहीं रहती। अगर कोई स्त्री किसी पुरुष के पीछे पड़ जाए और प्रेम का त्याग करने लगे, तो पुरुष डर जाएगा, वह टूट जाएगा। स्त्री का सौन्दर्य उसकी कोमलता में निहित है। वह निरीक्षण करता है, बिना कुछ कहे पुरुषों को अपनी ओर ले जाता है, लेकिन कभी आक्रमण नहीं करता है। उसका मौन भी एक संदेश होता है, जो पुरुष को बांध देता है, पर वह उसे नहीं पाता। उसकी जंजीरें सबसे सूक्ष्म होती हैं जो बाजार में दिखाई नहीं देतीं, पर उसके बंधन सबसे सूक्ष्म होते हैं। महिला को उसके पुरुष के सामने लिखा है, और यह उसका स्वाभाविक चुनाव होता है। बहुत से लोगों को पता चला है कि लोगों ने शैतान को दासी बनाया है, यह सच नहीं है। महिलाओं के दासी बनने की कला ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। जब किसी स्त्री का प्रेम होता है, तो वह समर्पित हो जाती है, और ऐसे उपहारों में उसकी शक्ति स्थापित हो जाती है। जब महिला का प्रेम अपने को स्टेज पर दिखता है, तो असल में वह पुरुष के जीवन में सबसे मुख्य स्थान पर पहुंच जाती है। वह अपने को छोटा सा घोड़ा बड़ी बन जाती है। प्रेम में पूर्ण परिचय के बाद, पुरुष का जीवन एक ही काम-गिरफ्तार की शक्ल होती है। उनकी छोटी-छोटी इच्छाएँ भी महत्वपूर्ण हो गईं। महिला कभी भी ऑर्डर नहीं करती, जो चाहती है, वही होती है। वह अपने प्रेम और कोमलता से अपनी पढ़ाई के अनुसार शील पुरुष की नौकरी के लिए निकलती है। यही उसकी असली शक्ति है। उद्धरण में कहा गया है कि स्त्री की यह शक्ति इतनी सूक्ष्म और गहरी होती है कि पुरुष इसे समझ नहीं पाता। उसकी कोमलता में इतनी शक्ति है कि बड़े से बड़े पुरुष भी प्रेम में पड़कर उसकी छाया में सहजता से बह जाते हैं।