शिमला। मुख्यमंत्री सुख अध्यामिक सिंह सुक्खू ने पिछले दिनों टायरों को लेकर उद्यमों में अधिकारियों को रैंक रिजर्व की थी। विशेष रूप से जल शक्ति विभाग की बैठक में मुख्यमंत्री ने जादूगरों को निर्देश दिये। पिछले दिनों थियोयोग का एक मामला संदेह के घेरे में सामने आया था, जिसमें अभी भी कई अधिकारी उलझे हुए हैं। इस विभाग में विजिलेंस की जांच चल रही है और अभी कार्रवाई जारी है। ऐसे में विभाग के मुखिया ने अपने उद्यमों को शामिल करने के लिए ऑर्डर जारी कर दिए हैं। साफा ने कहा कि कहीं भी कोई गड़बड़ी पाई जाए तो सीधी कार्रवाई होगी। जल शक्ति विभाग में काम को लेकर किराए वाले टेंडर में पूरी तरह से उद्यम को बताया गया है। यदि कोई अधिकारी इसमें शामिल है तो कड़ी कार्रवाई होगी। ऐसे में जल शक्ति विभाग के निर्देशानुसार हलचल हुई है। जल शक्ति विभाग की ईएनसी ई. अंजू शर्मा की ओर से इस संबंध में सभी चीफ इंजीनियर का एक विशेष सरकुलर जारी किया गया है। इसमें निर्देश दिए गए हैं कि विभाग में किसी भी तरह के काम के लिए टेंडर लेने वालों को पूरा किया जाए। पत्र में उन्होंने कहा है कि पास में कुछ रूढ़िवादी विभाग मौजूद हैं, जिसमें किसानों की ओर से दस्तावेज तैयार किए गए हैं, जिनके लिए जो नियम तय किए गए हैं, उनका पालन नहीं किया गया है। इसी तरह से टेंडर के खास नहीं हो रहे हैं। ऐसी वैज्ञानिक सरकार के पास भी हैं। ऐसे उद्यमों पर अब प्रमाणित विभाग से निफ़्टेगा, जिसके लिए अलेउज़र ने भी अधिकारियों को निर्देश दिया है। जल शक्ति विभाग में एक लाख तक के टेंडर होंगे। पांच लाख से कम तक के टेंडर के लिए मैनुअल और ई-टेंडर दोनों का ही विकल्प है। पानी की नई पाइपलाइन, टैंक निर्माण, शौचालय के अलावा कई तरह के कार्य जल शक्ति विभाग करवाता है। लोक निर्माण और जल शक्ति ऐसे दो अधूरे हैं, जहां के लिए सबसे ज्यादा बजट खर्च होता है। जल शक्ति विभाग ने हर जगह पर नजर रखने के लिए जगह-जगह निगरानी रखी है और उसने अपनी आंतरिक रणनीति बनाई है। जहां-जहां से आलोचक मिले हैं वहां-वहां नजर जा रही है, ताकि भविष्य में कहीं भी कोई गड़बड़ी न हो सके।
