शिमला।सरकार उन सभी कर्मचारियों को OPS देने के लिए कटिबद्ध है, जिनसे सरकार ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था। एक लाख 17 हजार 521 कर्मचारियों ने OPS के विकल्प को चुना है, जिन्हें सरकार पुरानी पेंशन का लाभ प्रदान कर रही है। सिर्फ 1356 ऐसे कर्मचारी हंै, जिन्होंने एनपीएस में ही रहने की ठानी और वह एनपीएस योजना के तहत ही आते हैं। यह कहना है उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री का। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को भी सरकार वायदे के अनुसार ओपीएस का लाभ प्रदान करेगी। विधानसभा में विधायक सतपाल सिंह सत्ती के सवाल का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने ओपीएस की पहली गारंटी दी थी और यहां कर्मचारियों को उसका लाभ भी दिया है।केंद्र सरकार के पास 9242 करोड़ रुपए की राशि पड़ी है, जिसे वह वापस नहीं कर रही है। इसमें 50 फीसदी यानि करीब 5 हजार करोड़ रुपए हिमाचल सरकार का है, जिसे प्रदेश सरकार वापस मांग रही है। मुकेश ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस पैसे को आगे इन्वेस्ट कर दिया है इसलिए वह वापस नहीं दे रही है। इस पर विपक्ष के नेता कहते हैं कि यह सरकार का पैसा नहीं। उन्होंने कहा कि एनपीएस में सरकार और कर्मचारी दोनों का आधा-आधा हिस्सा जमा होता था। इसलिए विपक्ष के नेता को चाहिए कि वह अपना स्टैंड बदलें और हिमाचल का पैसा वापस दिलाने के लिए पैरवी करें। मुकेश अग्रिहोत्री ने कहा कि यहां पर कर्मचारियों को ओपीएस देने के चलते केंद्र सरकार ने प्रदेश को मिलने वाले 1700 करोड़ रुपए पर कट लगा दिया। उन्होंने कहा कि जब राज्य कोष में राज्य के हिस्से की राशि जमा होगी तो ही यहां कर्मचारियों को पेंशन में उसका लाभ दिया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि एनपीएस में गए कर्मचारी जैसे ही राज्य कोष में पैसा जमा करेंगे उनकी पैंशन रिलीज कर दी जाएगी। उन्होंने विधायक के अनुपूरक सवाल पर कहा कि बिजली बोर्ड में ओपीएस देने का मामला अंडर कंसीड्रेशन है इसपर विभिन्न स्तर पर बातचीत चल रही है। सरकार का वायदा था जो उसने ओपीएस दिया। यहां तक की एचआरटीसी के कर्मचारियों को भी सरकार ने पहले ही ओपीएस दे दिया है। विधायक सतपाल सत्ती ने इससे पूर्व कहा था कि सभी कर्मचारियों से वायदा किया था, मगर बिजल बोर्ड कर्मियों को ओपीएस नहीं दिया गया है, जिससे उन कर्मचारियों में रोष है।
