शिमला। युद्ध जैसी स्थिति में हिमाचल प्रदेश में सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स के पंजीकरण और प्रशिक्षण शुरू करने के लिए उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। मुख्य सचिव को भेजे पत्र में अजय श्रीवास्तव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश भी दुश्मन के हवाई हमले का शिकार हो सकता है क्योंकि यहां सेना की प्रशिक्षण कमान (आरट्रैक), कई बड़ी बिजली परियोजनाएं, डैम, दलाई लामा का निवास, तिब्बत की निर्वासित सरकार, कुछ औद्योगिक क्षेत्रों के अलावा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान और राजभवन जैसे ऐतिहासिक महत्व के स्थान हैं। चीन के इशारे पर पाकिस्तान दलाई लामा और निर्वासित तिब्बती सरकार को नुकसान पहुंचा सकता है।उन्होंने कहा कि भारत सरकार, सशस्त्र सेनाएं, राज्य सरकारें, एवं अन्य एजेंसियां युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए अपना काम कर रही हैं। लेकिन समाज, विशेषकर युवा वर्ग को सिविल की डिफेंस वालंटियर के रूप में पंजीकृत और प्रशिक्षित करने की जरूरत है।अजय श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में घायलों तक तुरंत पहुंचने, उन्हें रेसक्यू करने और राहत पहुंचाने, ब्लड बैंकों के लिए रक्त जुटाने और आवश्यकता पड़ने पर भीड़ एवं ट्रैफिक को संभालने के लिए सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स की जरूरत पड़ेगी।उनका कहना है कि दुर्भाग्य से प्रदेश सरकार ने अभी तक इस और ध्यान नहीं दिया है। उन्होंने मुख्य सचिव से मांग की कि सभी जिलाधीशों को स्वयंसेवी संस्थाओं, विद्यार्थी संगठनों, धार्मिक एवं अन्य सामाजिक संस्थाओं के साथ मीटिंग करके सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स के पंजीकरण और प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दें। जिला एवं सब-डिवीजन स्तर पर युवाओं को युद्ध की स्थिति में सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहयोग की शपथ भी दिलाई जानी चाहिए।
