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इजराइल द्वारा फिलीस्तीन की गाजा पट्टी में किये जा रहे हमलों के खिलाफ डीसी ऑफिस शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन।

शिमला,01 नवंबर ऑल इंडिया पीस एन्ड सोलिडेरिटी आर्गेनाईजेशन के नेतृत्व में शिमला शहर के दर्जनों संगठनों ने इजराइल द्वारा फिलीस्तीन की गाजा पट्टी में किये जा रहे हमलों के खिलाफ डीसी ऑफिस शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। एआईपीएसओ ने इज़राइली हमलों व संयुक्त राष्ट्र संघ में युद्ध विराम पर लाए गए प्रस्ताव में भारत सरकार के नकारात्मक रवैये की कड़ी निन्दा की है। एआईपीएसओ ने इज़राइल की अमानवीय युद्ध कार्रवाई पर तुरन्त रोक लगाने की मांग की है। इस प्रर्दशन में ओंकार शाद, कुलदीप तंवर, संजय चौहान, विजेंद्र मेहरा, फाल्मा चौहान, जगत राम, मुफ़्ती मोहम्मद शफी कासमी, मौलाना मुमताज़ अहमद कासमी, तारी इरशाद, गज़ाला अनवर, जगमोहन ठाकुर, सत्यवान पुंडीर, राम सिंह, बालक राम, विजय कौशल, अमित ठाकुर, हिम्मी, रमाकांत मिश्रा, रमन थारटा, उपेंद्र, संतोष, अंकुश, कमल आदि ने भाग लिया।कुलदीप सिंह तंवर, विजेंद्र मेहरा, फालमा चौहान, मुफ़्ती मोहम्मद शफी कासमी, मौलाना मुमताज़ अहमद कासमी व तारी इरशाद ने कहा है कि इज़राइल द्वारा फिलिस्तीन पर किए जा रहे बर्बर हमलों के चलते पिछले 26 दिनों में कुल नौ हज़ार लोगों की जान चली गई है जिनमें लगभग पांच हज़ार बच्चे व बुजुर्ग हैं। इन हमलों में हज़ारों लोग घायल हुए जिनमें एक तिहाई बच्चे हैं। 17 अक्तूबर को गाजा के अस्पताल पर किए गए एक रॉकेट हमले में 500 से अधिक लोगों की जान गई थी। इज़राइल ने गाजा में भयंकर नाकाबंदी कर दी है व जिंदा रहने की फिलिस्तीनी जनता की बुनियादी आवश्यकताओं की सप्लाई बंद कर दी है। यह युद्ध के नियमों के विपरीत है। हवाई हमलों के साथ ही इज़राइल ने जमीनी युद्ध शुरू कर दिया है। गाज़ा पट्टी के कई क्षेत्रों में इज़राइल ने पानी, बिजली, खाद्य वस्तुओं व अन्य मानवीय मदद रोक दी है जिससे गाजा के कई हिस्सों में मूलभूत आवश्यकताओं की भारी कमी हो गई है।इज़राइल संयुक्त राष्ट्र संघ के युद्ध विराम के प्रस्ताव को ठुकरा चुका है व तानाशाही पर उतर आया है। वह युद्ध नियमों को भी दरकिनार कर रहा है। युद्ध विराम व फिलिस्तीनी जनता के साथ एकजुटता प्रकट करने के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर भारत की मोदी सरकार की भूमिका बेहद शर्मनाक व नकारात्मक है। यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति के विपरीत है व भारत सरकार के अमरीका व इज़राइल के जूनियर पार्टनर बनने की दिशा में एक जन व देश विरोधी कदम है। इज़राइल की दक्षिणपंथी नेतन्याहू सरकार खुले तौर पर तेजी से फिलिस्तीनी जमीनों पर कब्जा कर रही है और पश्चिम तट पर यहूदी बस्तियां बसाने में लगी हुई है। येरूशलम से फिलिस्तीनी परिवारों को जोर जबरदस्ती से बेदखल किया जा रहा है। गाजा पट्टी जहां 23 लाख से अधिक फिलिस्तीनी रह रहे हैं, इसकी पिछ्ले 16 वर्षो से बुरी तरह से इज़राइल ने नाकेबंदी कर रखी है। जब भी इस नाकेबंदी का प्रतिरोध फिलिस्तीनी लोगों के द्वारा किया जाता है तो वहां हवाई बमबारी की जाती है।एआईपीएसओ का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा फिलिस्तीनी लोगों को उनकी गृह भूमि के जायज़ अधिकार दिलवाने तथा फिलीस्तीनी जमीन से सभी इज़राइली बस्तियों व अवैध कब्जों को हटाना सुनिश्चित करना चाहिए। इसके साथ ही दो राष्ट्र पर आधारित समाधान के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर अमल सुनिश्चित करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव के अनुसार पूर्वी यरुशलम को उसकी राजधानी बनाते हुए स्वतंत्र फिलीस्तीन पर अमल किया जाना चाहिए। एआईपीएसओ संयुक्त राष्ट्र संघ व भारत सरकार सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह करता है कि वह इस टकराव को रोकना सुनिश्चित करे और संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव को लागू कराने के लिए कदम उठाए।
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