शिमला 02 नवंबर । आईजीएमसी के दो सौ के लगभग सफाई, वार्ड अटेंडेंट, सुरक्षा कर्मी, स्टाफ नर्सों, डेटा एंट्री ऑपरेटरों, मैस कुकों व हेल्परों, लैब टेकनिशियनों व अन्य कोविड कर्मियों तथा 20 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर रखने के मुद्दे पर मजदूर संगठन सीटू के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने श्रम विभाग शिमला पर दो घण्टे तक जोरदार मौन प्रदर्शन किया। इस दौरान सीटू प्रतिनिधियों व श्रमायुक्त की बैठक हुई जिसमें उप श्रमायुक्त, श्रम अधिकारी व श्रम निरीक्षक मौजूद रहे। सीटू ने आरपार की लड़ाई का एलान किया है। सीटू ने चेतावनी दी है कि अगर नौकरी से निकाले गए सुरक्षा कर्मियों व कोविड कर्मियों को न्याय न मिला तो आंदोलन उग्र होगा। आंदोलन की अगली कड़ी में जेल भरो आंदोलन, गिरफ्तारियां, चक्का जाम, ओक ओवर व सचिवालय मार्च होगा।सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, रमाकांत मिश्रा व जिला कोषाध्यक्ष बालक राम ने आईजीएमसी मसले पर श्रमायुक्त से हस्तक्षेप करके मजदूरों को न्याय देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी से दो सौ कोविड योद्धाओं को रोज़गार से बाहर करना मानवता को शर्मसार करने की घटना है। उन्होंने कहा कि 20 सुरक्षा कर्मियों के नौकरी से बाहर करना देश के कानून का गला घोंटना है। उन्होंने कहा कि सिक्योर गार्ड को दिए गए सुरक्षा कर्मियों के ठेके में महाघोटाला है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अब कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। टेक्निकल बिड इवैल्यूएशन के 70 अंकों के आधार पर सिक्योर गार्ड कम्पनी ठेके के लिए एप्लाई करने के लिए भी पात्र नहीं थी क्योंकि उसके 70 में से शून्य अंक हैं। ठेके के लिए वर्ष 2019 से हर साल इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य था परन्तु कम्पनी सितम्बर 2020 में बनी तो फिर इसने वर्ष 2019 का आयकर कैसे भर दिया। कम्पनी को ठेके की शर्तों के अनुसार वर्ष 2017 से 2022 तक के पांच वर्षों में एक जगह पर 100 से अधिक व कुल 300 सुरक्षा कर्मियों से कार्य अनुभव होना अनिवार्य था परन्तु कम्पनी का कार्य अनुभव तो तीन वर्ष का भी नहीं है। इस तरह कम्पनी को ठेका मिलना तो दूर की बात यह कम्पनी बिडिंग प्रक्रिया में शामिल होने के लिए भी पात्र नहीं थी। इस घोटाले को जनता में उजागर किया जाएगा व इसके खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा। उन्होंने आईजीएमसी में कर्मियों को नौकरी से बाहर करने व ठेके में हुए घोटाले के खिलाफ आंदोलन तेज करने का आह्वान किया है। हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र लाल, सुरक्षा कर्मी यूनियन अध्यक्ष देवराज बबलू, सफाई कर्मी यूनियन अध्यक्षा निशा व महासचिव सरीना ने कहा कि आईजीएमसी में अंग्रेजों के ज़माने के काले कानून आज भी जारी हैं। यहां हायर एन्ड फायर नीति जारी है व कानून का गला घोंट कर दो सौ कोविड कर्मियों व 20 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कर्मियों को नौकरी से बाहर करने का निर्णय गैर कानूनी है। इसे तुरन्त वापिस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में सुरक्षा कर्मियों व कोविड कर्मियों की मानसिक प्रताड़ना की जा रही है। ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है जोकि यूनियन से आईजीएमसी प्रबन्धन द्वारा किए गए समझौते व औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एच का खुला उल्लंघन है। आईजीएमसी प्रबन्धन भी नए ठेकेदार के साथ मिलकर श्रम क़ानूनों की खुली अवहेलना कर रहा है।
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