News Polkhol

सीपीएस नियुक्ति मामले मे बेंच बदला,जजों की बेंच बदलने के कारण इस मामले की सुनवाई अब 7 दिसंबर को।

शिमला, 04 नवम्बर । हिमाचल में डिप्टी CM और मुख्य संसदीय सचिव (CPS) की नियुक्ति को असंवैधानिक बताने वाली याचिका पर शनिवार को हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई। जजों की बेंच बदलने के कारण इस मामले की सुनवाई अब 7 दिसंबर तक के लिए टल गई है। पहले यह मामला जस्टिस जस्टिस विवेक और जस्टिस विपिन चंद्र नेगी की बेंच के सुपुर्द था। अब यह मामला जस्टिस विवेक और जस्टिस संदीप शर्मा की डबल बेंच के हवाले किया गया है। शनिवार को हिमाचल सरकार ने उस आवेदन को भी वापस ले लिया, जिसमें इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर (Case Transfer) करने का आग्रह किया गया था। अदालत ने पिछली सुनवाई में राजभवन से डिप्टी CM की शपथ को लेकर जो रिकॉर्ड तलब किया था, उसे कोर्ट ने अपने कब्जे में ले लिया है। हिमाचल सरकार अब सीधे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचकर हाईकोर्ट से केस को ट्रांसफर करने की पिटीशन डाल चुकी है। शुक्रवार को इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन हिमाचल सरकार के वकील की गैरमौजूदगी के कारण सुनवाई टल गई। यह मामला अब अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के सामने आने की संभावना है।

हाईकोर्ट में सरकार को रखना है अपना पक्ष

डिप्टी सीएम और सीपीएस की नियुक्तियों के मामले में हिमाचल सरकार को हाईकोर्ट (Himachal High Court) में बहस करनी है। बीते 16 अक्टूबर की सुनवाई में सरकार ने दलील दी थी कि बहस के लिए कुछ वक्त दिया जाए। इसके लिए दिल्ली से सीनियर एडवोकेट आएगा और वह सरकार की बात रखेगा। इस मामले में 3 अलग-अलग याचिकाकर्ताओं के वकील 16 अक्टूबर को कोर्ट में बहस पूरी कर चुके हैं।सीएम सुक्खू ने रोहड़ू से MLA मोहन लाल बराक्टा, अर्की से संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, दून से राम कुमार, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को CPS बना रखा है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सभी CPS लाभ के पदों पर तैनात है। इन्हें प्रतिमाह 2,20,000 रुपए बतौर वेतन और भत्ते के रूप में अदा किया जाता है। याचिका में हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम, 2006 को निरस्त करने की गुहार लगाई गई है। याचिका में आरोप है कि CPS की नियुक्ति कानून के प्रावधानों के विपरीत है। यह लोग मंत्रियों के बराबर वेतन व अन्य सुविधाएं ले रहे हैं।

मंत्री और CPS की संख्या 15 फीसदी से ज्यादा

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, प्रदेश में मंत्री और CPS की संख्या में 15 फीसदी से ज्यादा हो गई है।

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com