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ज्वालामुखी के अनन्य भक्त ध्यानू की विश्व मानचित्र पर होगी पहचान,खंडहर हो चुकी ऐतिहासिक धार्मिक स्थल का बदलेगा स्वरूप।

हमीरपुर,19 नवंबर। देवभूमि कहे जाने वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल में कई देवी-देवताओं का वास है। यहां के कई मंदिर आज भी धार्मिक पर्यटन की श्रेणी में शुमार हैं जहां हिमाचल समेत बाहरी राज्यों जिनमें खासकर यूपी, पंजाब, हरियाणा आदि के लोग पहुंचते हैं। यहां के देवाल्यों के साथ कोई न कोई घटना और कहानी जुड़ी हुई है जिसे लोक गाथाओं और लोकगीतों में अकसर सुना जाता है। जिला कांगड़ा के प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी से एक ऐसी ही कहानी जुड़ी है माता ज्वालामुखी के अनन्य भक्त कहे जाने वाले ध्यानू भक्त की। एक ऐसा भक्त जिसने माता के समक्ष स्वयं अपना शीश काटकर रख दिया था। ऐसा कहा जाता है कि ध्यानू भक्त की श्रद्धा को देखकर मां ज्वालामुखी ने दोबारा उनका सिर धड़ से जोडक़र उन्हें जीवित कर दिया था। शायद इसलिए ध्यानू भक्त को सोलहवीं शताब्दी की धार्मिक घटना का नायक भी कहा जाता है। ध्यानू भक्त वैष्णव भक्त होने के साथ एक महान कवि भी थे।यही नहीं उनके द्वारा लिखी गई माता तारा रानी की कथा के बिना तो मां के जागरण अधूरे माने जाते हैं। ध्यानू भक्त की जिला हमीरपुर के नादौन में समाधि है। कहते हैं कि 1588 ई. को उत्तर प्रदेश में जन्में ध्यानू भक्त यहीं आकर बस गए थे और जीवन पर्यंत यहीं रहे। ऐसा भी कहा जाता है कि वे रोजाना ब्यास नदी को पार करके माता ज्वालामुखी के मंदिर में रोजाना शीश नवाने जाते थे। जब उन्होंने देह त्यागी तो नादौन में ही उनकी समाधि बनाई गई जिसे वर्तमान प्रदेश सरकार ने धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की योजना भी बनाई है। पर्यटन विभाग इसे एडीबी के प्रोजेक्ट में ले रहा है। इसका प्रोपोजल बनाई जा रही है कि किस तरह इस जगह को आकर्षित बनाया जाए कि पर्यटक यहां आएं, क्योंकि ध्यानू भक्त का नाता सीधे मां ज्वालामुखी से रहा है ऐसे में कहा जा सकता है कि हर साल लाखों की संख्या में जो श्रद्धालू ज्वालाजी मंदिर में आते हैं वो लगभग 12 किलोमीटर दूर इस पवित्र समाधि स्थल को देखने भी जरूर आएंगे जिससे यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। अगर इस मंदिर का निर्माण सही ढंग से होता है तो नादौन में बाहरी राज्यों के लोगों का आना-जाना शुरू हो जाएगा, जिससे पर्यटन को एक ओर नई दिशा मिलेगी।