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हिमाचल प्रदेश सचिवालय के पास सरकार के खिलाफ मजदूर और किसानो ने सीटू के बैनर तले किया विरोध प्रदर्शन।

शिमला,25 नवंबर । केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के विरोध में किसानों और मजदूरों  ने सीटू के बैनर तले शनिवार से छोटा शिमला स्थित राज्य सचिवालय के बाहर हल्ला बोल शुरू कर दिया। तीन दिन तक चलने वाले इस धरने  में भाग लेने के लिए राज्य के विभिन्न स्थानों से किसान और मजदूर शिमला आ रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। सचिवालय के बाद केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की जा रही है। किसान-मजदूर एक दर्जन से ज्यादा मांगों को लेकर हल्ला बोल रहे हैं। केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत वर्क प्लेस पर ऑनलाइन हाजिरी अनिवार्य कर रखी है, लेकिन कई दुर्गम इलाकों में नेटवर्क नहीं होने से हाजिरी नहीं लग पा रही। इससे मनरेगा मजदूरों को दिहाड़ी नहीं मिल पा रही है।

ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि इस देश में अदानी-अंबानी की नीतियां चलने से किसान-मजदूर पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि धरने के आखिर दिन भारत सरकार को चेताया जाएगा कि इस देश में पूंजीपति घरानों की नीतियां नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई तीन दिन के धरने के बाद थमने वाली नहीं है। किसानों-मजदूरों की मांगें नहीं मानी गई तो हम दिल्ली कूच करेंगे।

मनरेगा मजदूर साल में 200 दिन रोजगार देने और मनरेगा के तहत न्यूनतम दिहाड़ी 375 रुपए करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने की मांग कर रहे हैं।

44 श्रम कानूनों को खत्म करके बनाई गई मजदूर विरोधी 4 लेबर कोड को रद्द करो।

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुविधा देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू और किसानों के कर्जे माफ करो।

न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए घोषित करने व केंद्र और राज्य में एक समान वेतन देने।

बिजली विधेयक-2022 को वापस लेने व स्मार्ट मीटर योजना रद्द करने।

हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करो।

आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा व अन्य योजना कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करो। नई शिक्षा नीति वापस लो।

कॉर्पोरेट घरानों को फायदा देने वाली प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वापस लो।

नौकरी से निकाले सैकड़ों कोविड-19 कर्मचारियों को बहाल करो।

सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश व निजीकरण बन्द करो।

सभी मजदूरों को EPF, ESI, ग्रेच्युटी, नियमित रोजगार, पेंशन व दुर्घटना लाभ आदि सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाओ।

दूध का समर्थन मूल्य 40 रुपए प्रति लीटर घोषित करो।

मनरेगा में 200 दिन का रोजगार दो व 375 रुपए दिहाड़ी लागू करो।