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पैसे चुकाओ,तभी ट्रैकिंग पर त्रीयुंड जाओ, अन्यथा जुर्माना दो।

कांगड़ा, 26 नवंबर। धौलाधार की गोद में स्थित त्रियूंड में ट्रैकिंग पर अब वन विभाग ने शुल्क लागू कर दिए हैं। वन विभाग के कार्यालय में कंजरवेटर की अध्यक्षता में पर्यटन कारोबारियों के साथ बैठक हुई। इस दौरान विश्व प्रसिद्ध ट्रैकिंग साईट त्रियूंड में ट्रैकिंग और कैम्पिंग के लिए शुल्क लगाने को लेकर चर्चा की गई। त्रियूंड में ट्रैकिंग करने जाने के लिए पर्यटकों को अब 200 रुपए शुल्क देना पड़ेगा। हर साल देश-विदेश से धौलाधार रेंज के त्रियूंड में घूमने आते है। वहीं, कैंपिंग करने के लिए 500 रुपए प्रति व्यक्ति प्रवेश देना पड़ेगा, यह ईको टूरिज्म को जाएगा। अगले चरण में त्रियूंड ट्रैक, स्नो लाइन ट्रैक, करेरी लेक टै्रक, करथाना ट्रैक, इंद्रहार पास ट्रैक, हिमानी चामुंडा ट्रैक तथा गुना माता ट्रैक में भी यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। इसको लेकर ईको टूरिज्म तथा होटल एसोसिएशन के साथ हुई वन विभाग की एक बैठक के बाद नए शुल्क अपू्रव किए गए हैं। इसके मुताबिक अब पर्यटकों को गलू आदि प्रवेश द्वार पर प्रति व्यक्ति 200 रुपए एंट्री शुल्क के रूम में त्रियूंड जाने के लिए चुकाने होंगे। वहीं, अब टैंट के लिए प्रति टेंट 1120 रुपए जीएसटी समेत देने होंगे। वहीं, नाइट कैंप में दो व्यक्तियों का शुल्क जीएसटी समेत 1120 रुपए तय किया गया है। ईको टूरिज्म के तहत बनाए गए प्लान में गलू से त्रियूंड ट्रैक आदि में नाइट कैंपिंग के लिए मात्र 20 टेंट लगाने की अनुमति होगी, जिनमें मात्र 40 लोगों के रहने की अनुमति होगी।मुख्य वन संरक्षक धर्मशाला विक्रम ने इसकी पुष्टि की है। धर्मशाला वृत्त के पर्यावरण-पर्यटन मुद्दों पर चर्चा के लिए वन विभाग ने शुक्रवार को धर्मशाला वन वृत के मुख्य वन संरक्षक विक्रम की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की। बैठक में आईएफएस नितिन पाटिल, डीएफओ पालमपुर, आईएफएस दिव्या, एचपीएफएस अमित शर्मा, होटल एसोसिएशन, धर्मशाला के अध्यक्ष अश्वनी बाम्बा, नीलेश सैनी, सुभाष नेहरिया, दया सागर आदि लोग उपस्थित थे।अवैध टैंट लगाने पर प्रति टेंट दो व्यक्ति के हिसाब से पांच हज़ार रुपए जुर्माना किया जाएगा। साइट को आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के तहत तुरंत ऑनलाइन बुकिंग के साथ टेंटिंग साइट पर वॉक-इन बुकिंग की भी अनुमति दी जाएगी। इसके लिए प्रस्तावित वहन क्षमता को सख्ती से लागू किया जाएगा। इसके अलावा साइट पर एक दिन की यात्रा के लिए प्रति आगंतुक 200 रुपए लिए जाएंगे, जबकि इसके लिए मार्ग कोई भी हो। इसके अलावा प्रतिदिन 300 से अधिक दिन के आगंतुकों को ट्रैक पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रवेश द्वारों पर शुल्क लिया जाएगा, जिसके लिए वन विभाग की ओर से पर्याप्त कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक दिन से अधिक समय तक रुकने वाले पर्यटकों को अनुमति नहीं दी जाएगी।