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भारतीय लोकनाट्य” पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ शुभारंभ।

शिमला। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में आज “भारतीय लोकनाट्य: लोक की सांस्कृतिक विरासत का संवाहक” विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। यह संगोष्ठी 12 से 14 अगस्त 2024 तक आयोजित की जा रही है। उद्घाटन सत्र में विभिन्न प्रतिष्ठित वक्ताओं ने विषय की प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किए।उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर शशिप्रभा कुमार, अध्यक्ष, शासी निकाय, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला ने की। संगोष्ठी का आरंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। प्रोफेसर आर.पी. तिवारी, निदेशक, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान एवं कुलपति, केंद्रीय विश्वविद्यालय, पंजाब, वर्चुअल माध्यम से जुड़े। संगोष्ठी के संयोजक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह ने विषय का परिचय दिया।उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर राजेंद्र गौतम, पूर्व प्रोफेसर, हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा हरियाणा गौरव सम्मान से सम्मानित, ने अपने विचार व्यक्त किए। इसके बाद, प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री, उपाध्यक्ष, हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला ने अपने संबोधन में लोकनाट्य की सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला। अंत में, अध्यक्षीय संबोधन प्रोफेसर शशिप्रभा कुमार ने ऑनलाइन माध्यम से दिया, जिसमें उन्होंने भारतीय लोकनाट्य की महत्ता पर जोर दिया। कार्यक्रम का समापन श्री मेहर चंद नेगी, सचिव, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में शोधकर्ता, विद्वान, और विशेषज्ञ भारतीय लोकनाट्य की परिभाषा, उसके विविध रूपों, सामाजिक सरोकारों और राष्ट्रीय निर्माण में इसकी भूमिका पर चर्चा करेंगे। साथ ही, लोकनाट्य के माध्यम से समाज में व्याप्त समस्याओं, महिला और दलित सशक्तिकरण, और आधुनिक समय में इसके सृजन पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।इस संगोष्ठी का उद्देश्य भारतीय लोक-संस्कृति की धरोहर को प्रोत्साहित करना, लोकनाट्य की विधा को पुनःस्थापित करना, और इसे नई शिक्षा नीति के तहत अधिक समावेशी बनाना है। संगोष्ठी में विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत शोध पत्र लोकनाट्य के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे, जिससे इस विधा के संरक्षण और संवर्धन के लिए नए मार्ग प्रशस्त होंगे। संगोष्ठी में देश के लगभग 17 राज्यों के 30 से अधिक वक्ता ऑनलाइन या ऑफ़लाइन माध्यम से भागीदारी कर रहे हैं।

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