शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में आज एक महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुआ है, जिसमें संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित पूर्व विधायकों की पेंशन बंद करने का प्रावधान है। यह विधेयक सीएम सुखविंदर सुक्खू ने मंगलवार को सदन में प्रस्तावित किया था, जिस पर आज चर्चा हुई। विपक्ष ने इस विधेयक को बदले की भावना से लाया गया बताया है,इस विधेयक के पारित होने के बाद, यह राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। यदि राज्यपाल से मंजूरी मिल जाती है, तो यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा। अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन बंद करने का यह देश में ऐसा पहला कानून होगा। यह कदम दल बदलने की समस्या को रोकने के लिए उठाया गया है, जो हिमाचल प्रदेश में एक प्रमुख मुद्दा है।यह विधेयक विधानसभा सदस्यों के भत्ते एवं पेंशन अधिनियम 1971 में संशोधन का प्रस्ताव करता है, जो कि पूर्व विधायकों की पेंशन को बंद करने के लिए है। यह कदम राज्य की राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
किन पर गिरेगी गाज
इसके बाद गगरेट से पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा और कुटलैहड़ के पूर्व विधायक देवेंद्र कुमार भुट्टो की पेंशन बंद हो जाएगी। पेंशन के अधिकार से वंचित होने के बाद इनके द्वारा अब तक ली गई रकम की भी रिकवरी होगी। धर्मशाला से विधायक सुधीर शर्मा, बड़सर से इंद्र दत्त लखनपाल, सुजानपुर से पूर्व विधायक राजेंद्र राणा और लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर की इस टर्म की पेंशन भी रुक जाएगी। प्रस्तावित बिल के अनुसार, जिन्हें संविधान की 10वीं अनुसूचित के हिसाब से अयोग्य घोषित किया गया है। उनसे 14वीं विधानसभा के कार्यकाल (दिसंबर 2022 से फरवरी 2024) की रकम की रिकवरी की जाएगी।