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प्रदेश में भाँग की खेती होगी वैध, सरकारी संकल्प पारित।

हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को वैध करने का रास्ता साफ हो गया है। भांग की खेती लीगल करने को लेकर कैबिनेट मंत्री जगत नेगी ने सदन में नियम 102 के तहत सरकारी संकल्प लिया जो सर्व सम्मति से पारित हो गया। अब उत्तराखंड जैसे राज्य की राजधानी पर हिमाचल में भांग की खेती लीगल होगी। इससे पहले सदन में इस पर चर्चा हो चुकी थी, साथ ही तीन राज्यों, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर का दौरा कर भांग की खेती को लेकर औषधीय और औद्योगिक प्रारूप में पद्धतियों की जानकारी ली गई थी। राजस्थान के मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में नशा मुक्त भांग की खेती लीगल है। एनडीपीएस अधिनियम में भी भांग की खेती को राज्य में लीगल करने का अधिकार दिया गया है। भांग की खेती से प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिल सकती है। लेकिन इससे नशे को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति ना हो। जगत सिंह नेगी ने कहा कि नशा मुक्त भांग की खेती को हिमाचल प्रदेश में लीगल करने से सरकार की आय में भी वृद्धि होगी और कानून में भी इसका उद्देश्य है। सरकार एसओपी जारी कर अब हिमाचल में भांग की खेती को लीगल (कानूनी)करने की तैयारी। भांग की खेती में नशे की मात्रा 0.3 ही होगी। सरकार पूरा चेकगी की भांग की खेती का नशे में अर्थ ना हो।
भांग की खेती का इतिहास 12 हजार साल पुराना
भारत में पिछले 40 साल से ज्यादा समय से भांग की खेती जरूरी है। 1985 में भारत में भांग की खेती को अपराध घोषित किया गया था। भांग की खेती को वैध करने से राज्य स्तर पर करोड़ों रुपये आय का अनुमान है। प्रदेश में डायनासोर 2400 नॉक भूमि में भांग की अवैध खेती हो रही है। पुराने हिमाचल के कुछ अलग-अलग हिस्सों में बैंबासी के रूप में कारोबार किया जा रहा है, जिसमें आम, मंडी, कंपनी, कोलैमी और सिरमौर शामिल हैं। भांग की खेती का इतिहास 12 हजार साल पुराना है। भांग का वैसे ही औषधि के रूप में उपयोग किया जा रहा है। लेकिन नशे के रूप में भांग को लेकर हिमाचल के कुछ जिले बदनाम भी हैं। प्राकृतिक मलाना जैसे क्षेत्र को तो भांग का हब माना जाता है।

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