शिमला। संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण मामले में शुक्रवार को दो बड़ी घटनाएं हुई हैं। एक तरफ वक्फ बोर्ड ने मस्जिद समिति के फैसले पर अपनी सहमति दे दी है, वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार ने इस मस्जिद की जमीन का मालिकाना हक तय करने के लिए राज्य समिति के वरिष्ठ विद्वानों की सहमति दे दी है। लॉ कंसल्टेंसी से भी इस बारे में राय ली जा रही है। मस्जिद का अवैध हिस्सा सील करने को लेकर अभी फैसला नहीं लिया जा सका है। शुक्रवार को वक्फ बोर्ड के चुनाव अधिकारी कुतुबुद्दीन नगर निगम के आयुक्त भूपेन्द्र अत्री से मिले। इस दौरान उन्होंने इस पूरे मामले पर कमिश्नर से चर्चा की और कहा कि मस्जिद कमेटी अगर खुद बात कह रही है कि संजौली में आधी मंजिल के अलावा जो भी निर्माण हुआ है, अगर वह इसे अवैध साबित करती है तो वह खुद ही इसे तोड़ देगी, तो ऐसे में वक्फ बोर्ड को भी इस बात में कोई दिक्कत नहीं है। नगर निगम मामला निगम के तहत जो भी कार्रवाई करना चाहता है, नगर निगम का भी अब कहना है कि इस पूरे में मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड दोनों का पक्ष साफ है। ऐसे में अब आने वाली कार्रवाई सभी दस्तावेजों को देखने की जाएगी। शुक्रवार को ही मुख्यमंत्री सुख सहायक सिंह सुक्खू ने सचिवालय में इस मामले पर जो पार्टी की बैठक हुई थी। इस असेंबली में बीजेपी की तरफ से आई लव लाइफ के बाद पहले आमिराना हक को मंजूरी दी जा रही है। सरकार ने अधिकारियों से कहा है कि पहले अमीराना हक के स्पष्ट दस्तावेज और उसके बाद अवैध निर्माण पर कार्रवाई करें। नगर निगम की अदालत में इस मामले की सुनवाई पांच साल पुरानी है, लेकिन मस्जिद को सील करने का काम पहले हो सकता है। बैठक में शामिल स्थानीय विधायक विश जनारथा ने बताया कि शहर में शांति व्यवस्था भंग न हो, इसके लिए कदम मजबूत किये जा रहे हैं।
अवैध निर्माण गिराने को वक्फ बोर्ड भी सहमत,अब जमीन का मालिकाना हक की कवायद शुरु।
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