शिमला। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी अब ‘योगी मॉडल’ पर नजर आ रही है। हिमाचल प्रदेश में भी अब यूपी की तरह रेहड़ी-पटरी और ढाबा-अतिरिक्त को दुकान के बाहर नेमप्लेट लगानी होगी। हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह की राष्ट्रपति भवन में हुई बैठक में फास्ट फूड, रेहड़ी और ढाबों के अवशेषों को मान्यता देने का निर्देश दिया गया।इस संबंध में उन्होंने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट भी किया. उन्होंने लिखा, ‘हिमाचल में भी हर भोजनालय और फास्ट फूड रेहड़ी पर उसकी मालकिन की पढ़ाई चलेगी। इस संबंध में शहरी विकास एवं नगर निगम की बैठक के बाद निर्देश जारी किए गए।’ कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने इस संबंध में कहा, ‘शहरी विकास एवं नगर निगम ने इस संबंध में बैठक की थी। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि रेलवे भी स्ट्रीट वेंडर है, वो अपने गोदाम के बाहर स्थित है। यह कदम स्वास्थ्य और साफ-सफाई की दृष्टि पर ध्यान देना उठाया गया है।’
‘रेहड़ी-पटरी वालों को भी आईडी से ऑर्डर करें’
उन्होंने कहा, ‘अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में भी रेहड़ी पटरी वालों को ऑर्डर दिया गया है. अब हमने इसे यहां भी जगह से लागू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए स्ट्रीट वेडिंग कमेटी बनाई गई है, ताकि आने वाले दिनों में कोई भी ऐसा मामला प्रकाश में आए, तो उस पर कार्रवाई हो सके।’ उन्होंने कहा, ‘स्ट्रीट वेंडिंग कमेटी के माध्यम से सभी सामान बनाए जाएंगे। इसमें उनकी फोटो और नामांकन संख्या होगी.’
हिमाचल में सिर्फ स्ट्रीट वेंडर क्या होगा?
जब विक्रमादित्य सिंह से पूछा गया कि आपके एक मंत्री ने विधानसभा में कहा था कि स्ट्रीट वेंडर को हिमाचल का मूल निवासी होना चाहिए, तो उन्होंने कहा, ‘इस पर हमने सहमति जताई थी, लेकिन ऐसा कोई कानून भी नहीं है।’ हालाँकि इतना जरूर है कि हिमाचल के लोगों को स्वदेशी बनाया जाना चाहिए, ताकि उन्हें रोजगार के लिए इधर-उधर भटकाना ना पड़े। इस तरह का फैसला ईस्ट की रिजर्व ने लेने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने ऐसे शेयर को खारिज कर दिया, इसलिए हम ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहते हैं, जो कानूनी दिवालियापन में फंसकर रुक जाएगा।