शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने आर्थिक संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक और कदम उठाया है। कई दशकों से घाटे में चल रही एचआरटीसी के ऐसे रूट, जो लंबे समय से बोझ बने हुए हैं, का युक्तिकरण कर निगम का बोझ कम करने का प्रयास किया जाएगा। इन रूटों में ज्यादातर लंबे मार्गों के रूट हैं और उन्हें क्लब किया जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ मंगलवार को एचआरटीसी के अधिकारियों के साथ बैठक में यह बात सामने आई है कि कई ऐसे लंबे रूट की बसें हैं, जोकि घाटे में चल रही हैं, लेकिन जनता की सुविधा के लिए एचआरटीसी ने इन बसों को चलाकर रखा है। ऐसे में लांग रूट के युक्तिकरण पर चर्चा की गई और आने वाले दिनों में इनमें से कई रूटों को एचआरटीसी क्लब करेगा। बैठक में एचआरटीसी को घाटे से उबारने के मसले पर विस्तृत चर्चा की गई। सूत्रों के मुताबिक घाटे वाले लंबी दूरी के रूटों को बंद करने की जगह उन्हें क्लब करने का निर्णय लिया गया है। यानी एक ही रूट पर एक घंटे के अंतराल में चलने वाले रूटों को क्लब कर दिया जाएगा।जहां चार बसें हैं, उनकी संख्या कम करके एक या दो कर दी जाएगी। उदाहरण के तौर पर धर्मशाला से शिमला के लिए ऐसी बसें, जो 20 मिनट, आधे या एक घंटे के अंतराल में चलती हैं, उन्हें क्लब किया जा सकता है या फिर कई रूट ऐसे हैं, जो धर्मशाला से वाया पालमपुर व सीधे शिमला आते हैं, उन्हें भी क्लब किया जा सकता है। इसी तरह शिमला से हरिद्वार वाया चंडीगढ़ या फिर सीधे हरिद्वार के लिए जो बसें चलती हैं, उसमें भी इसी तरह का संशोधन किया जाएगा। इसी तरह का बदलाव दिल्ली, चंड़ीगढ़, अमृतसर व हरियाणा राज्यों के लिए चलने वाली बसों में किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक एचआरटीसी ने अपना प्लान मुख्यमंत्री को बताया है क्योंकि इससे पहले सीएम ने निर्देश दिए थे। इसके बाद एचआरटीसी के अफसरों ने पूरा वर्कआउट किया है। इसमें रूटों का समायोजन किस तरह से किया जाए, ताकि यात्रियों को भी किसी तरह की परेशानी न हो और निगम का राजस्व भी बढ़ सके, इसे देखा गया है। निगम को निर्देश दिए गए हैं कि वह इसका विस्तृत प्लान तैयार करके भेजें।एचआरटीसी के निदेशक मंडल की बैठक में भी इस पर चर्चा होगी, जिसके बाद प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने की। इसमें सचिव परिवहन आरडी नजीम, एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर, डीएम देवासेन नेगी, निदेशक परिवहन डीसी नेगी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।एओचआरटीसी का कुल घाटा 1650 करोड़ है। इसको कैसे कम किया जा सकता है इस पर विस्तृत चर्चा की गई है। इससे पहले एचआरटीसी के 275 के करीब घाटे के रूट निजी आप्रेटरों को देने का निर्णय लिया गया था, हालांकि अभी इनमें आधे से ज्यादा रूटों पर फैसला नहीं हो पाया है। वर्तमान में प्रदेश सरकार एचआरटीसी को 700 करोड़ रुपए का सालाना अनुदान दे रही है। एचआरटीसी में 27 श्रेणियों के लोगों को निशुल्क यात्रा दी जा रही है। एचआरटीसी के 31 डिपो हैं और चार मंडल हैं। 3180 बसें हैं, जो प्रतिदिन 5.60 लाख किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। 2684 रूट पर निगम की बसें सेवाएं देती हैं। निगम की दैनिक आय 2.25 करोड़ रुपए है।
