काँगड़ा। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड सहित साइबेरिया से उड़ान टिकट एक लाख 44 हजार से अधिक परिंदें हिमाचल तक हैं। सैकड़ा माइल्स का सफर तय कर इन परिंदों ने सर्दियां को हिमाचल की डैम साइट पर अपना आशियाना बनाया है। विदेशी परिंदों की इस प्यारी इंसानियत से इस बार एक बड़ा रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। करीब 21 सागरों में पहली बार मार्टबा, प्रवासी पक्षियों की प्रकृति इतनी शानदार है। पशु विभाग ने बर्ड्स की गणना का विशेष अभियान चलाकर यह दस्तावेज तैयार किया है। प्रवासी देशों में अधिकतर यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, एशिया के अलग-अलग देश और साइबेरिया के क्षेत्र हैं। पशु विभाग की गणना में 97 समुद्री जीवों के कुल एक लाख 53 हजार 719 जल-निर्भर पक्षी सामने आए हैं। इनमें से 55 पौराणिक कथाओं के एक लाख 44371 प्रवासी पक्षी हैं। जबकि 31 चट्टानों के 7382 स्थानीय पक्षी जो भारत के अलग-अलग राज्यों से उडक़र यहां हैं। इसके अलावा इस गणना में 11 अन्य कांटे के 1966 पक्षी भी शामिल हैं। प्रमुख एशियाई पक्षी बार-हेडेड गीज़ की संख्या 90959 है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 53458 से अधिक है। 2004 में शुरू हुई वार्षिक पक्षी गणना के इतिहास में यह अब तक की सबसे अधिक संख्या है। गणना के दौरान दर्ज किए गए अन्य प्रमुख राज्यों में यूरेशियन कूट 10 हजार 785, कॉमनवेल्थ पोचार्ड 9692, कॉमन टीएल 8497, नॉर्डर्न पिंटेल 8053, लिल कॉर्मोरेंट 3520, यूरेशियन विजन 3464, ग्रे लेग गूज 2984 शामिल हैं। टैफ्टेड पोकार्ड 2331, नॉर्डर्न शॉवेलर 1350 और ग्रेट जलकाग 1271 की गिनती हुई है। जबकि इस गणना में ग्रेटर व्हाइट-फोरफेड गूज, लेसर व्हाइट-फोरफेड गूज, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, फेरुगिनस पोचार्ड, पाइड एवोसेट और नॉर्ड लैपवेविंग जैसे कई अन्य फ्रेंड्स के बर्ड्स की गणना भी सामने आई है। पिछले वर्ष की तुलना में पक्षियों की कुल सूची में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। 83555 लोगों की वृद्धि हुई है। पाउंग लेक लेक सैंक्चुअरी में वार्षिक जल पक्षी गणना में हिमाचल प्रदेश वन विभाग, बॉम्बे ऑर्केस्ट्रा सोसायटी, विकी, बर्डी जोश और स्थानीय क्षेत्र के 100 से अधिक कलाकारों की भागीदारी शामिल है। यह अभ्यास जो 31 जनवरी को पूर्ण-पूर्व ब्रीफिंग से पहले किया गया था। पूरे पवित्र स्थान को पाट दिया गया, इसे 25 खंडों में बाँट दिया गया।
