शिमला।मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट सत्र के पहले भाजपा नेताओं के बयानों पर जवाब दिया कि हम केंद्र सरकार से खैरात नहीं मांग रहे, बल्कि हिमाचल का हक मांग रहे हैं। भारत के संविधान के अनुसार राज्यों को यह अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के कुछ नेता आए दिन यह बयान देते रहते हैं कि केंद्र की मदद के बिना हिमाचल सरकार नहीं चल सकती। मुख्यमंत्री राज्यपाल अभिभाषण के बाद विधानसभा परिसर में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अगले साल राज्य का राजस्व घाटा अनुदान 10000 करोड़ से गिरकर 3200 करोड़ रह गया है।जीएसटी लगने के बाद भी हिमाचल का नुकसान हुआ है, क्योंकि हम कंज्यूमर स्टेट नहीं हैं। बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ के औद्योगिक क्षेत्र से ही सिर्फ 250 करोड़ का जीएसटी आ रहा है। समय कठिन है, लेकिन अर्थव्यवस्था और टैक्स कलेक्शन में अब धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। केंद्र सरकार सहयोग नहीं कर रही। इससे पहले दिल्ली में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब हिमाचल में पार्टी अलग होने के बावजूद मदद मिलती रही थी।हमने कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम दी। यूपीएस पर भी बात चल रही है, लेकिन राज्य के कंट्रीब्यूशन के 9200 करोड़ नहीं लौटाए जा रहे। हिमाचल में प्राकृतिक आपदा आई, लेकिन पोस्ट डिजास्टर नीड असेस्मेंट (पीडीएनए) के 10000 करोड़ पर कोई बात नहीं कर रहा। यह प्रदेश गरीब हो सकता है, लेकिन यहां की संपदा और जनता अमीर है। हिमाचल के पानी से एसजेवीएनएल आज 67000 करोड़ की कंपनी बन गई, जबकि राज्य का बजट सिर्फ 58000 करोड़ है। हमें अपनी संपदा पर ही टैक्स लगाने का अधिकार नहीं है। यदि इस संपदा से कमाई पर कुछ शेयर राज्य को मिल जाए, तो हिमाचल आत्मनिर्भर हो सकता है।मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जयराम ठाकुर ने अपनी सरकार के दौरान मंदिरों से 28 करोड़ रुपए लिए थे, लेकिन हमने अनाथ बच्चों के लिए एक आर्डर क्या कर दिया, पूरी भाजपा ने हल्ला मचा दिया। यह तो वही बात हो गई कि खुद करें तो पुण्य, हम करें तो पाप। भाजपा नेताओं को यह समझना चाहिए कि हर विषय राजनीति का नहीं होता।
