शिमला।हिमाचल सरकार द्वारा गठित की गई रिसोर्स मोबिलाइजेशन कैबिनेट सब-कमेटी ने अपनी सिफारिशें कैबिनेट को सौंप दी है। इन पर अब राज्य सरकार को फैसला लेना है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस कैबिनेट सब कमेटी का गठन उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में किया गया था। इस उपसमिति ने सिफारिश की है कि खर्च कम करने के लिए सरकारी विभागों में गाडिय़ों की संख्या को 10 फ़ीसदी कम किया जाए। अधिकारियों के साथ एक से ज्यादा वाहन नहीं होना चाहिए। राज्य सरकार को सुझाव दिया गया है कि बोर्ड और निगमों का मर्जर जल्दी किया जाना चाहिए। वर्तमान सरकार ने इससे पहले फाइनांस कॉरपोरेशन का विलय किया था, लेकिन उसके बाद गति धीमी हो गई है। वर्तमान में हिमाचल सरकार में 23 बोर्ड निगम हैं, जिनमें से सबसे बड़ा बोर्ड बिजली बोर्ड और निगम एचआरटीसी है। इनमें से 13 से ज्यादा बोर्ड निगम घाटे में हैं।
इसलिए सरकार को छोटे बोर्ड निगमों को मर्ज करने पर जल्दी निर्णय लेना होगा। कैबिनेट सब-कमेटी ने यह भी सिफारिश की है कि शिमला से ऐसे सरकारी कार्यालयों को अन्य जिलों में ट्रांसफर किया जाए, जो राजधानी में किराए के भवनों में चल रहे हैं। इससे सरकार का खर्चा बचेगा और लोगों को भी अपने नजदीक मुख्यालय की सुविधा मिलेगी। रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी की इस रिपोर्ट के दरअसल तीन हिस्से हैं। पहले हिस्से में केंद्र सरकार से संबंधित मामलों को लेकर सिफारिशें दी गई हैं। इसमें भारत सरकार में लंबित पड़े वित्तीय मामलों का जिक्र भी है। इसमें बीबीएमबी एरियर के अलावा एनपीएस कंट्रीब्यूशन और आपदा राहत के पोस्ट डिजास्टर नीड असेस्मेंट के फंसे पैसे का हवाला भी दिया गया है। सिफारिश के दूसरे हिस्से में राज्य सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों का जिक्र है और तीसरा हिस्सा बड़े कदम उठाने के सुझावों का है। इन सिफारिशों में से किसको कब लागू करना है? यह फैसला कैबिनेट में ही चर्चा के बाद होगा। अभी तक सरकार ने सिर्फ न्यूनतम बस किराए को लेकर ही निर्णय लिया है, जिसकी नोटिफिकेशन होना अभी बाकी है।